SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 64
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ५८ पूज्य श्री का जगत को अमर संदेश www.kobatirth.org + गाय चाहे पीली हो, काली हो या चितकबरी हो, उसका दूध तो श्वेत-धवल ही होगा. उसे अमृत समझो. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धर्म चाहे वैदिक हो, इस्लाम हो, जैन हो या ईसाई हो, यदि वह आत्मोत्थान का पथ प्रशस्त करता है तो मानव जाति के लिए वरदान है. पेकिंग और लेबल चाहे जैसा हो, माल तो असली ही होना चाहिए. १. श्री सूर्यभानसिंह ३. श्री कलिनराय जिनशासन के समर्थ उन्नायक मैं सभी का हूँ, सभी मेरे हैं. प्राणी मात्र का कल्याण मेरी हार्दिक भावना है. मैं किसी वर्ग, वर्ण, समाज या जाति के लिए नहीं, अपितु सबके लिए हूँ. व्यक्ति राग में मेरा विश्वास नहीं है. लोग वीतराग परमात्मा के बतलाये पथ पर चलकर अपना और दूसरों का भला करे यही मेरी हार्दिक शुभेच्छा है. आचार्यश्री के सांसारिक वंश की तालिका ५. श्री नरहरीसाही ७. श्री लालजीसाही श्री प्रेमचन्द जी सूर्यभानसिंह से पंद्रहवीं पीढ़ी में आते हैं. चौहानवंश की वंशावली के अनुसार आपके पूर्वजों के नाम इस प्रकार मिलते हैं. - २. श्री गरुड़राय ४. श्री वीरमसाही ६. श्री नसीबसाही ८. श्री नन्दुसाही १०. श्री गणेशसिंह १२. श्री शिवकरणसिंह ९. श्री हरनामसिंह ११. श्री चेथरुसिंह १३. श्री लक्ष्मीनारायणसिंह १४. श्री जगन्नाथसिंह उर्फ श्री रामस्वरूपसिंह और १५. श्री प्रेमचन्द उर्फ लब्धिचन्द. (वर्तमान में आचार्य श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराज) For Private And Personal Use Only आचार्यश्री के सांसारिक परिवार में आज भी बड़ी संख्या में सदस्य है. वे पूज्यश्री की प्रेरणा से धर्मानुरागी भी बने हैं.
SR No.008715
Book TitleJina Shashan Ke Samarth Unnayak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2001
Total Pages68
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy