________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
आचार्य श्री पद्मसागरसूरि
४३
आग उगलती गर्मियों के दिनों में भी जयपुर से गुजरात की ओर विहार करके पधारे और सन् २००१ का चातुर्मास आपने यहाँ पर ही किया.
यह सच है कि आपके लोकोत्तर जीवन का परिचय देना सामान्य मनुष्य के सामर्थ्य से परे है. अथवा तो यूँ कहिये कि किसी को सूर्य का परिचय देना कितना हास्यास्पद है तो भी बालक अपनी तूटी-फूटी भाषा में मंतव्य को अभिव्यक्त करने के लिए बड़ों से ही उत्साहित होता है. इन पंक्तियों का लेखक भी ऐसी ही बालचेष्टा कर रहा है.
आज आपको कौन नहीं जानता? जैन समाज तो ठीक परन्तु जैनेतर समाज भी अच्छी तरह आपके प्रति श्रद्धावान् है. मानवता के मसीहा हो तो ऐसे हो. धन्य रत्नकुक्षि माता जिन्होंने आपको जन्म दिया. धन्य पिता जिनके एक वंशज ने जगत में जैन धर्म का डंका बजाया. धन्य धरा बंगाल की जिसकी मिट्टी ने सोना उगला और अहोभाग्य है जैन जगत का जिनको ऐसे अवतारी महापुरुष का सान्निध्य मिला.
पूज्य आचार्यश्री के जीवन की कतिपय उपलब्धियाँ
* पूज्य आचार्यश्री के प्रबोधन से प्रभु श्री महावीर की निर्वाण भूमि पावापुरी गाँव के सभी वर्ण के लोगों द्वारा मांस-मदिरा का पूर्णतः त्याग व जलमन्दिर में मछली पकड़ने की हमेशा के लिए पाबंदी एवं सरोवर की पवित्रता बनाए रखने का शुभ संकल्प.
* मुंबई गोडीजी, वाल्केश्वर, दिल्ली, अजीमगंज - जियागंज आदि अनेक संघों में देवद्रव्य की पूर्णतः शुद्धि एवं शास्त्रीय परंपरा का पुनःस्थापन.
* नेपाल जैसे विदेश में विचरण करके काठमाण्डू में जैन मन्दिर की प्रतिष्ठा. सीताजी की जन्मभूमि एवं दो तीर्थंकरों की कल्याणकभूमि जनकपुर (नेपाल) में विशाल जैन मन्दिर एवं तीर्थस्थल के आयोजन का सफल उपदेश.
* राष्ट्रपतिजी द्वारा राष्ट्रपति भवन में ससम्मान अभिनन्दन और मांगलिक श्रवण.
* भारत की प्रधानमन्त्री इन्दिरा गांधी को राष्ट्रहित में मार्गदर्शन.
For Private And Personal Use Only