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उसमें भी सब से श्रेष्ठ उन्हें काम-कथा लगती है। जीवन की सार्थकता उसीमें समाई हुई प्रतीत होती है। सिनेमा के राग की सुन्दर कोई कडी उसके कान मे प्रवेश कर जाय तोअमृत सिंचन हुआ जैसा भासित होता है। मानों कामोद्दीपक संगीत की सरिता में सदा गोता लगाये रहे ! मानो यही उसकी एकमात्र इतिकर्तव्यता न हो? श्रवणातीत ! प्रभो !! डरावने भुजंग और भोले कुरंग हरिण संगीत की तरंग में प्राणों के रंग तजते हैं और मृत्यु संग को भजते हैं। संगीत के रंग का ऐसा भीषण और भयंकर अंजाम जि प्यारे, परमात्मन ! मेरे कर्ण युगल तुम्हारे गुणी गीत ही पान करनेवाले बनें। उसके द्वारा स्वच्छ और सुन्दर जीवन जीनेवाले बनें। तभी जीवय धन्य है !
हे नवकार महान
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