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प्रकाशकीय निवेदन
आज तक 'नवकार' के संबंध में जितनी भी रचनाएँ प्रणीत हुई हैं, उनमें 'हे नवकार महान' आधुनिक शैली की एक अभिनव कृति है।
विषय वस्तु अन्य कृतियों से संगृहीत होने पर भी इस कृति की अपनी ही मौलिकता है। भाषा-शैली भावात्मक होते हए भी सर्व साधारण के लिए सरल एवं बोधगम्य है। मान्यवर लेखक प्रवरने 'प्रभु श्री नवकार' के प्रति अपनी भावभीनी प्रेमांजलि अर्पण करते हुए शांति का अनुभव किया है। उनका यह मृदुल प्रयास सफल एवं सराहनीय है।
प्रस्तुत कृति में प्रेम और विरह के भाव प्रभूत मात्र में दिखलाई देते हैं। इस पुस्तक का प्रणयन करने में लेखक ने अनेक रचनाओं से सहयोग प्राप्त किया है । अनेक पुस्तकें होने के कारण उनके नामों का संकेत यहाँ नहीं दिया गया है, फिर भी 'हे नवकार महान' के प्रणेता ने उदात्त हृदय से उन समस्त रचनाकारों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए सौजन्यता दिखलाई है। समस्त पाठकगण भी इस रचना को पढ़कर आनन्द की अनुभूति करेंगे ऐसी मैं अपेक्षा रखता हूँ।
आठ
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