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शास्त्र व ग्रन्थों के पन्ने-पन्ने व पंक्ति-पंक्ति पर अंकित है भावों की बहुमूल्य मणियाँ।
'दधि-मंथन' करने वाला पाता है - 'नवनीत' । 'मनो-मंथन' करने वाला पाता है - "विचार रत्न'।
शास्त्र मंथन - महान पुरुषों की अमृतमय वाणी का श्रवण व स्वाध्याय चिंतन करने वाला पाता है - “अनुभव ज्ञान की मूल्यवान् मणियाँ" ।
आध्यात्म के बड़े-बड़े ग्रन्थों का पाठ करना हर किसी को सुलभ नहीं हो पाता, इसलिए महापुरुषों के सार पूर्ण छोटे-छोटे अमृतमय सुवचन, अनमोल चिंतन पढ़कर आपको उन गुणों की रमणीयता का अनुभव होगा, उनमें ठिो आध्यात्मिक उल्लास की अनुभूति होगी। ___ मेरे उपकारी पूज्य गुरुवर गणिवर्य श्री देवेन्द्र सागर जी म. सा. ने सरल और सुन्दर भाषामें अलंकृति करने का कार्य किया है ताकि पाठक वर्ग व चिंतक वर्ग को अपने "बिखरे मोती" इकट्ठे करने में सुगमता होगी। इसी में कृति की कृतकृत्यता है।
- पूज्य उपकारी गुरुवर श्री ने प्रेरणा देकर श्रत भक्ति-सेवा का मौका दिया। मैं पूज्य गणिवर्य श्री देवेन्द्र सागर जी का आभार मानता हूँ जो उन्होने आर्थिक सहयोग प्रदान कर मेरी भावना को साकार किया। _ 'अष्टमंगल फपउन्डेशन ने इसे जल्दी प्रकाशित कर लोकार्पण कार्य
किया।
अशोक वि-मोदी भीनमाल - (राज)
ता. 3-11-94
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