________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
" परमात्मा कभी अवतार नहीं लेते क्योंकि सभी कर्म बंधन के समस्त कारणों और कर्मो पर विजय पाने के बाद ही परमात्म पद प्राप्त होता है। फिर वे भला अवतार क्यों ले? "
" जो पाप की कमाई से सुखी होने की कामना करते हैं, वे अपने गले में पत्थर बांधकर तैरने का प्रयत्न करते हैं। जो कभी सफल नहीं होता।"
उत्तमा सुखिनो बोध्या, दुःखिनो मध्यमा पुनः। सुखिनो दुखिनो वाऽपि बोधमर्हन्ति नाधमा ।।
“उत्तम पुरुष सुखी होने से बोध पाते है, मध्यम पुरुष दुःखी होने से बोध पाते हैं। जबकि अधम पुरुष सुख और दुःख किसी से बोध प्राप्त नहीं करते।"
जो अन्तर्शत्रुओं के साथ लड़कर उन पर विजय प्राप्त करने की इच्छा नहीं करता, वह सही अर्थो में जैन नहीं है।
36
For Private And Personal Use Only