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-: प्रकाशकिय :
आत्मजागृति की दृष्टि से महापुरुषों की वाणी का श्रवण - मनन का अपना एक विशेष महत्व है । परन्तु भौतिक जगत के युग में ऐसे भाग्यशाली सद्गृहस्थों की संख्या अधिक नहीं है, जिनको महान् पुरुषों की वाणी-सत्संग और समागम का नियमित समय या सुअवसर मिल पाता हो । अधिकतर वे जीवन की अपनी भागदौड में ही इतने उलझे रहते हैं कि चाहते हुए भी वे उनका लाभ नहीं उठा पाते । जनसामान्य की इस विवशता को ध्यान में रखकर ही " अष्टमंगल फाउन्डेशन" ने विशिष्ट संतो के प्रेरणास्पद एवं पठनीय चिंतन को पुस्तकाकार में प्रकाशित करने का निर्णय लिया है। जिससे कि जिज्ञासु कोई भी पाठक सुविधानुसार उनको पढ़कर लाभ उठा सके ।
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" शब्दों की अपनी सीमा है, किन्तु जब वे भावों के साथ घुल-मिल जाते हैं तो जीवन परिवर्तन का सुहावना माहौल निर्मित कर देते हैं।” ऐसे विचारों के उद्बोधक राष्ट्रसंत आचार्य देवेश श्री पद्मसागर सूरीश्वर जी म. सा. एक समर्थ आचार्य ही नहीं, प्रभावशाली प्रवचनकार भी है | प्रस्तुत "बिखरे मोती” नामक पुस्तक में पूज्य गुरुवर के भी हृदय स्पर्शी चिंतनों को भी
संकलित किया है ।
चिंतनों का संग्रह - संकलन अशोक वी० मोदी ने बहुत ही सुन्दर ढंग से किया है।
मंडार (राज) निवासी उदारमना सखा श्रेष्ठिवर्य श्री हुकमिचंदजी समर. थमलजी चौवटिया की धार्मिक अस्था का परिणाम रूप वे चौवटीय समस्त परिवार के संग धन्यवाद के पात्र है, जिन के पूर्ण आर्थिक सहयोग ने पुस्तक प्रकाशन में महत्त्व की भूमिका निभाई ।
साकेत प्रकाश व सिध्दार्थ प्रकाश ने इम्प्रेस ओफसेट में अलप अवधि में कलात्मक व आकर्षक पुस्तक प्रकाशन में योगदान दिया ।
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