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पन्यास श्री घरेणन्द्रसागर, जैनधर्म के मर्मज्ञ और मनीषी होने के साथ वेद-वेदांग, धर्म, दर्शन और ज्योतिष के भी विद्वान् हैं । 'योगशास्त्र ग्रन्थ के माध्यम से लेखक ने लौकिक जगत् में क्षरण-भंगुर कामनाओं के वशीभूत स्वार्थ और यत्किचित् सीमित, संकीर्ण क्षुद्र साधनों में निरत रहने वाले नर-नारियों के समक्ष दुरूह समझे जाने वाले योगमार्ग का सरल सहज और सम्भाव्य स्वरूप प्रस्तुत किया है ताकि उस पर चलकर निःस्वार्थ भाव से अभिभूत-जीवन को आध्यात्मिकता के विराट-पथ की ओर अग्रसर किया जा सके।
ऐसे सप्रयास निःसन्देह क्लिष्ट और कठिन भाषा-शैली में लिखे ग्रन्थों के अध्ययन से सम्पादित नहीं हो पाते हैं। अतः सरल तथा बोधगम्य भाषा एवम् सरस दृष्टान्तों से निर्मित यह ग्रन्थ, योग मार्ग पर चलने की कामना सजोने वाले लोगों की आध्यात्मिक यात्रा में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण तथा उपादेय-सेतु सिद्ध होगा, यही मंगल-कामना है ।
डॉ. जगमोहनसिंह परिहार एम. ए. (दर्शन, हिन्दी) पी.एच. डी., डी. लिट्.
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