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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (30) चूडामणि महागुरुश्रीनेमिसागरमुनिवर तच्छिष्य मुनीश्वर गुरुश्री रविसागरजी तच्छिष्य महागुरु श्री सुखसागरजी तच्छिष्य पट्टधर ।। सर्वजैन संघगच्छेषु प्रतिष्ठित भारतादिदेश प्रख्यात योगनिष्ठ शास्रविशारद भट्टारकजैनाचार्य श्री बुद्धिसागरमरिमहाराजसदुपदेशतः कारापित तथा स्वप्रतिष्ठित महुडी ( मधुपुरी ) नवीन पमप्रभु जिनेश्वर प्रासादासमनवीनो पाश्रय बंधाववामां महुडी वास्तव्य दशाश्रीमाली वहोराशाखीय शा मानचंद मुलचंद तरफयी तेमना पुत्र वणिक् कालीदास तथा मगनलाल तथा वर्धमान तथा ईश्वरनी माता श्राविका काशीना नामपुण्यस्मरणार्थे रु. १००१ एकहजार ने एक मापवामां आव्या छे. तथा श्री पद्मप्रभुना मंदिरनीभूमि तथा उपाश्रयभूमि, सवा विधाना आशरे आपवामां आवी छे. लेखक वाडीलाल तथा मणीलाल. विशेष. वहोरा शा मानचंद मूळचंदनी तरफयी वि. सं. १९७८ चैत्र वदि तृतीयाथी एकादशी पर्यंतनुं अष्टान्हिका महोत्सवपूर्वक उद्यापन ( उजमगुं) करवामां आव्यु छ, तथा चैत्रवदिआठमथी अगियारससुधीनुं विजापुर तथा कांठानी बे जैन वणिक महाजन सत्तावीशर्नु चोखळु करवामां आव्युं छे. तत्मसंगे आलेख को छे. वि. सं. १९७८ चैत्र यदि १० शुक्रवासरे. लेखक महुडी जैनसंघ. खंभातवासी सोमपरा सलाट मूलचंद उमेदेन इयं प्रशस्तिः उत्कीर्णा. शुभं भवतु. ॐ अर्ह महावीर. शान्तिः ३ । [महुडीना दहेरासरमा श्रीमद् रविसागरजी महाराजनी मूर्तिनो लेख.] ॐ अहं महावीर प्रभु जैनशासन श्वेतांबर तपागच्छ सागर संघाटक (सागर गच्छ) क्रियोद्धारक श्री नेमिसागरजी तच्छिष्य For Private And Personal Use Only
SR No.008682
Book TitleVijapur Bruhat Vrutant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1925
Total Pages345
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & History
File Size17 MB
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