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(जिनेश्वर अति......) श्री सीमन्धर युगमंधर स्वामि, बाहु सुबाहु ते जाणोजी, सुजात ने स्वयंप्रभ ऋषभानन, अनंतवीर्य वखाणोजी, वंदु सुरप्रभ विशाल वज्रधर, चंद्रानन चंद्रबाहुजी, भुजंग ईश्वर नमिप्रभ वीरसेन, महाभद्र देवयश प्राहुजी, १ अजितवीय ए वीश जिणंदा, महाबिदेह विचरंताजी, केई कुमरपद केई नृपपदवी, केइ जिनेश महंताजी; अढी द्वोपमां पंचविदेहे, विहरमान जिन वीशोजी, भाव धरीने नित प्रणमता. पहोंचे मनह जगीशाजी. २ दान शीयल तप भाव अहिआ, ओ जिन आगम सारजी, प्रवचनमां एह जिनवर भाख्यो, ते पाळो निरधारज अमीय समाणी श्रीजिन वाणी, गूंथी गणधर जाणीजी, ते आगम भविजन आराहो, भाव अधिक मन आणीजो. ३ समकितधारी सानिध्यकारी, देव देवी सुखकारीजी, जिन शासन अधिष्ठोयक सुरवर, संघ सकल हितकारीजी; पंचागुलीदेवी जिनवर सेवी, निज सेवकने सहायजी, श्री कपुरविजय सद्गुरु सुपसाये मानविजय गुण गायजी. ४
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