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श्री सीमन्धर साहिबा, महाविदेहक्षेत्र मोझारः भक्ति भाव वन्दन करु , दिनमे वार हजार. १ धन्य विजय पुष्कलावती, धन्य पुंण्डरीकिणी धाम; धन्य धन्य माता सत्यकी, धन्य पिता थेयांस नाम २ चोराशीलक्षपूर्व स्थिति, धनुष्य पांचसो काय; धोरी लंछने शोभती, सोवन वरणी काय, ३ कुंथुनाथ आरे जनमिया, इन्द्र कियो अभिषेक; सुव्रत समय दीक्षाग्रही तार्या जीव अनेक. ४ उदय - पेढाल जिनांतरे थासो सिद्ध स्वरूप; अधम उद्धारण तारजो दीजो ज्ञान अनुप. ५
(१०) जयतु जिन जगदेकभानु, काम कश्मल तमहरम् ; दुरित ओघ विभाव वर्जित, नौमि श्री जिनमन्धरम्. १ प्रभु पाद पद्म चित्त लयनो, विषय दोलित निर्भरमा संसार राग असार घातिक, नौमि श्री जिनमन्धरम् २ अतिरोष वह्नि मान महीधर, तृष्णाजलधि हतकरमः वंचनोर्जित जन्तुबोधक, नौमि श्री जिनमन्धरम् . ३ अज्ञान तर्जित रहित चरण, परगुणो मे मत्सरम, अति आर्दित चरण शरण नौमि श्री जिनमन्धरम् . ४ गंभीर बदनं भवतु दिन दिन, देहि मे प्रभु दर्शनम्। भावविजय श्री ददतु मंगल, नौमि श्री जिनमन्धरम् . ५
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