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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org श्रीजिनेन्द्रस्तुति स्तवनादि समुच्चय श्री जिनेन्द्र स्तुति श्री सर्वज्ञ ! समग्र - सौख्य- पदवी-सम्प्राप्ति चिन्तामणे !, सत्कल्याण-निवास ! वासवत ! त्रैलोक्य- चूडामणे !; विहरत् तीर्थङ्कराग्रेसर', सम्यग्ब्रह्ममय-स्वरूप ! श्री सीमन्धरधर्म नायकमह भक्त्या भवन्तं स्तुवे. १ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चातारं भुवनत्रयस्य परम' सद्योग-मार्गाध्वग !, ध्येय ध्येय - पदावधिं नरवधि ज्योतिः प्रकाशात्मकम ये पश्यन्ति भवन्तमुत्तमदृशः स्वान्ते निवेश्य स्थिर, धन्यानामुपरि श्रयन्ति गुरुतां ते देव ! देहस्पृशः जगज्जीवन, भक्ति-प्रहूब - सुपर्व पूजित - पदाम्भोज' ब्रह्माजिह्म- यावदातहृदया ध्यायन्ति योगीश्वराः प्रातः पूर्वविदेह भूषणकर स्वात्मविभेदेन य स श्रीमान् हृदये करोतु वसति सोमन्धरः श्री जिनः ३. महाकेवलनाण कल्लाणवासो, सलावण्णसोवण्णवण्णप्पयासो थुणे सारसिद्धिं पुरीसत्यवाहं, सया सामिसीमंधर' तित्थनाहं ४ महीमंडणं पुण्णसोवण्णदेहं जणाणंदण केवलनाणगेह; महाणं दलच्छी बहुबद्धराय सुसेवामि सीमन्धर तित्थराय'. " For Private And Personal Use Only
SR No.008679
Book TitleUd Jare Panchi Mahavideh Mai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharnendrasagar
PublisherSimandharswami Jain Mandir Khatu Mehsana
Publication Year
Total Pages263
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size10 MB
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