________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
१८
॥ बार खमासमपना दुहाः ॥
(१) अनंत चोविशी जिन नमुं, सिद्ध अनंती कोड; केवळनाणी स्थविर सवी, वंदु वे कर जोड. १ बे कोडी केवळधरा, विहरमान जिन वीश; सहस कोडी युगल नमु, साधु नमु निशदिश. २ जे चारित्रे निर्मल, ते पंचानन सिंह, विषय कषायने गंजोया, ते प्रणभुं निशादिश. ३ श्री सोमन्धर साहिबा, अरज करूं कर जोड, जीहां लगी शशो सूरज तपे, वंदना हमारो होय. ४ मंत्रोच्चारः “ॐ ह्रीं श्रीं अहं श्री सीमन्धरस्वामिने नमः हों स्वाहा" खमासमण ए रोते आगळतां बयां खमासमणमां समजवु.
(२) श्री ब्रह्माणी शारदा, सरस्वती द्यो सुपसाय; सोमन्धर जिन विनवू, सानिध्य करजो माय. १ सुण सुण 'सरस्वती' भगवती, त्हारी जगविख्यात; कविजननी कोरती वधे, तेम तु' करजे मात. २ स्वामि सीमन्धर विदेहमां, बेठा करे वखाण; वंदना माहरो तिहां जइ, कहे जा चंदाभाण. ३
श्री सीमन्धरसाहिबा मंत्रोच्चार० खमासमण.
For Private And Personal Use Only