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माता बहेनानी जेम कंभ दीपक स्थापनक्रियानो लाभ सुलक्षणोपेत पुरुष पण लई शके छे. पुरुषो माटे क्रियानो निषेध नथी.
अष्टमंगळ आलेखेल चित्ताकर्षक आंतसुरम्य सुवर्ण रौप्यादि धातुना, अथवा श्यामचिहनादि दूषणो रहित शुद्ध मृत्तिका कुंभने पूंजी प्रमार्जीने शुद्ध जळ्थी पवित्र करी कंठे गेवासूत्र (नाडाछडी) मांधी कुंभोपरि मध्यभागे केसर चंदनना द्रवथी ॐ ह्रीं ओं सोपद्रवान् नाशय स्वाहा' ऐ मन्त्र लखी कुम्भना अभ्यंतर सळस्थळे केसर चंदननो स्वस्तिक करी रूप्य मुद्रा, पंचरत्ननी पोटली अने सोपारी मूकी कुम्भ स्थापन करनार पुण्यवंत प्रण वार "नमस्कार महामन्त्र" गाणेने अखण्ड धाराए वखपुत (गळेल) शुद्धजळ्थी कुम्भ भरीने डॉटडा जळमां अधोमुख रहे ते रीते कुम्भमां चारे दिशाए ऐक ऐक सीधु नागरवेलनुपान मूकी मध्यभागे ऊर्यशिख श्रीफळ मूको उपर नीलवर्णनु (लोलु) रेशमीवस्त्र आच्छादित करी मिढळ्युकत गेवासूत्रना दश पंदर
आटा देवा पूर्वक सुदृढ बांधी उपर जळ छांटी अनुकूळ्ता प्रमाणे सोना रुपाना वरख छापी केसर चंदननां छांटणां करी सुगंधी पुष्पहार चढाववो.
खास सूचना : अखण्ड दीपक प्रगटाव्या सुधीनो विधि कर्या पछी, निम्न लिखित विधि कुम्भ तथा दीपकनो साथे करवानो होय छे. - कुम्भ दीपक स्थापन करनार सुकुमारिका अथवा सौभाग्यवती त्रण वार "नमस्कार महामन्त्र गणीने" इंढोणी युक्त मस्तके कुम्भ धारण करे, अने थाळ सहित दीपकने बन्ने बन्ने हाथमां धारण करी शक्यता अनुसार आगळ चालता थाळी डंका निशान पंच शब्द बाजिन्त्रोनो महानाद अने धवळ मंगळादि गीतगान पूर्वक
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