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(२)
(देशी की चाल) सीमन्धरजी से वंदना, नित हो तो जो हमारी रे । परम पुरुष जी से वन्दना, नित हो हमारी रे । मन वच काय त्रिके करो, सेवा चाहूं तुम्हारी रे । सी० १ तुम तो महाविदेह मां वसो भरत मां बैठा रे, मनडो चाहे ऊडी मिलू जायके पद भेटू रे । सी० २ यहां तो आरो पांचों, तिहां चौथो आरो रे, तुमे तिहां सुख भोगवो, हमको न संभारो रे । सी८ ३ विद्या जंघाचारिणी, कोई लब्धि न दीसे रे जेहथी, प्रभु पद भेटिये, मनडो घणो हीसे रे । सी० ४ बीज तणो जे चाँदलो, तेनी साथे हमारी रे । जाई पाँचेगी वंदना सुन लिजो संभारी रे। सी० ५ नंदन श्री श्रेयांसनो, अंगज सतकीनो रे, रूकमणी राणीनो बालमो इजो ऋषभ नगीनो रे। सी० ६ स्वपनान्तर प्रभुजी मिल्या भयो परम आनन्दोरे बुध, जसवंतसागर तणो जाई नीक सु नोंको रे ॥सी० ७ ॥इति
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