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पछी ' नमोऽईत् ' कहने निम्न लिखित मन्त्र बोलतां वासक्षेप करवा. पूर्वक पत्र पुष्पफळ अष्टगन्धादिधूप तेमज केसर चंदनादिनां द्रवो अधिवासित करवां.
पत्रपुष्पादीनामधिवासनामन्त्रः- ॐ वनस्पतियो ! वनस्पतिकाया एकेन्द्रिया जीवा निरवद्यात् प्रज्ञायां निरर्ययाः सन्तु, निष्पापाः सन्तु निरपाया: सन्तु, सद्गतयः सन्तु नमेऽस्तु संघट्टन हिंसापापमर्हदर्चने स्वाहा || थाळी बगाडवी.
पछी 'नमो' ऋहीने निम्नलिखित मन्त्र बोलतां वासक्षेप करवा पूर्वक जल अभिमन्त्रित कर
जलमिवामितमन्त्र ॐ आप ! अपूकाया एकेन्द्रिया जीवा निश्वाद्यार्हत पूजायां निरव्यथाः सन्तु, निष्पापाः सन्तु निरपायाः - सन्तु, सद्गतयः सन्तु नमेऽस्तु संघट्टन हिंसापापमुदचने स्वाहा ॥ थाळी वगाडावी.
पछी 'नमान" कहीने निम्नलिखित 'आत्मरक्षा महा'विद्या' स्तोत्र बोलवा पूर्वक आत्मरक्षा एटले अंगरक्षा करवी
|| श्री नमस्कार - महामंत्ररूप आत्मरक्षा महाविद्या ॥ “ॐ परभेष्ठि- नमस्कार, सारं नव पदात्कम् । पंजराभं स्मराम्यहम् ॥१॥
आत्मरक्षाकर
वज्र
“ॐ नमो अरिहंताणं शिरस्क शिरस स्थितम् । “ॐ नमो मन्त्र सिद्राणं मुखे मुखपट वरम् ||२|| “ॐ नमो आयरियाण अङ्ग - रक्षातिशायिनी ।
“ॐ नमो ज्झायाणं, आयुधं हस्तयोर्दढम् ॥३॥
"
"ॐ नमोलोए सव्व साहूणं, मोचके पादयोः शुभे ! ऐसो पंच नमुक्काशे, शिला वज्रमयी तले ||४||
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