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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २१० www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ढाळ ३ ( रे जीवन मान कीजीये - अ राग ) जिहां लगे आतमद्रव्यनु, लक्षण नवि जाण्यु, तिहां लगे गुणठाणु भलं, किम आवे ताण्यु, आतमतत्त्व विचारीए० आतम अज्ञाने करी, जे भव दुःख लहीए; आतमज्ञाने ते टले एम मन सद्दहीए. आतम० ज्ञानदशा जे आकरी, तेह चरण विचारो; निर्विकल्प उपयोगमा, नहि कर्मनो चारो. आतम० भगवई अंगे भाखिओ, सामायिक अर्थः सामायिक पण आतमा; धरो सुधो अर्थ. आतम लोकसार अध्ययनमां, समकित मुनि भावे; मुनिभावज समकित कह्युं, निज शुद्ध स्वभावे. आतम० कष्ट करो संजम धरो, गालो निज देहः ज्ञानदशा विण जीवने, नहि दुःखनो छेह. आतम० बाहिर यतना बापडा, करतां दुहवाओ; अंतर यतना ज्ञाननी, नवि तेणे थाओ. राग द्वेष मल गाळवा, उपशम जल झीलो; आतम परिणति आदरी, पर परिणामने पीलो. For Private And Personal Use Only आतम ० २.२ २३ २४ २५ २६ २७ २८ आतम० २९ हुं एहनो ए माहरो, ए हुं एणि बुद्धि, चेतन जडता अनुभवे, नवि भासे शुद्धि आतम ० बाहिर दृष्टि देखतां, बाहिर मन धावे; अंतर दृष्टि देखतां अक्षय पद पावे. आतम० ३१ चरण होय लज्जादिके, नवि मनने भंगे; त्रीजे अध्ययने कघुं, एम पहेले अंगे. ३० आतम० ३२
SR No.008679
Book TitleUd Jare Panchi Mahavideh Mai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharnendrasagar
PublisherSimandharswami Jain Mandir Khatu Mehsana
Publication Year
Total Pages263
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size10 MB
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