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(५) निरंतर अनन्तानन्त परमतारकभी ना ध्याननी मग्नता.
( ६ ) शक्य प्रयासे अनन्तानन्त परमतारकोना मन्त्रनो एक लाख जाप पूर्ण करवो. संयोगवशात् जाप पूर्ण न थयो होय, तो लाख जाप पूर्ण थाय त्यां सुघी प्रतिदिन अल्पात्यल्प पांच जपमाळा गणवो. लाख जाप पूर्ण थया पछी प्रतिदिन अल्पायल्प एक माळा गणवी.
(७) आराधन काळमां जाप माटे प्रतिदिन एक ज स्थान राखवु, एक स्थाननी अनुकूलता न होय, तो बे ऋण नियत स्थान राखवां, (८) प्रथम दिवसे जे शुद्ध श्वेत वस्त्रोथो जाप कर्यो होय, ते ज स्त्री बारे दिवस जाप करवो.
( ९ ) आसन श्वेत राखवु .
(१०) चंदननी स्फटिक अथवा शुद्ध श्वेत सूत्रनी गूंथेली प्रतिष्ठित जपमाळा राखवी
(११) जपनो समय दिवसमां बे ऋण बार नियत राखवो.
(१२) दिवसे पूर्व दिशा समक्ष अने रात्रिए दक्षिण दिशा समक्ष बेसीने आराधना अने जाप करवो. ईशान खूणा समक्ष बेसवानी अनुकूलता होय, तो अहोनिश ईशान खुणा समक्ष बेसीने आराधना अने जाप करवो.
(१३) सानु आसन शुद्ध श्वेत ऊननु राखवु . (१४) आराधना अने जाप माटे अनन्तानन्त परमतारकश्रीना प्रतिमाजी होय, तो ते, न होय तो कोई पण अनन्तानन्त परम तारकओना प्रतिमाजी, अने तेनी पग अनुकूलता न होय, तो अनन्तानन्त परमतारकओना चित्रपटनी अम वार नमस्कार महामन्त्र गणिने स्थापना करवी.
(१५) अन्युल्लसितभावे सामूहिक आराधन कर.
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