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किहां रयणायर किहां ससहर गयणे रहेजी, किहां जहर किहां मोर;
जिण परेजी, जिण परेजी,
दूर थकी ए गहगहेजी;
तिम तुम ध्याते मुज मन हरखे उल्लसेजी; अळगो पण आसन्न, भासेजी भासेजी, जिण तु मुज हियडेजी, १४
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तु पीडहर पीडहर जगवच्छल धणोजी, तुं बघवतात, जीवनजी जीवनजी तुं भुरतरु चिंतामणिजी; तोरे नामे सुख संपत्ति संतति मिलेजी, लाभे लील विलास, सुंदरजी सुंदरजी मनह मनोरथ सवि फळेजी. १५ (डाळ)
इम श्री सीमंधरस्वामी शाल,
सीमंधर जिणचंद, आपे परम आनंद, सेवे सुरतर वृंद: जास चरण अरविंद. १६ मधुकर मालती संगे, केलि करे जिम रंगे, चाहे चंद चकोरा तिम हुं दर्शन तोरा. १७. भावी सत्तम जिणवरे, शिव पहुंते इण अवसरे; चिरकाले शिवगामी, जयउ सीमंधर स्वामी. १८ (चोपाइ)
थुण्यो मन भगते गुणविशाळ;
श्री पुण्यसागर उवज्झाय सीस,
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गणी पद्मराज पभणे जगीश. १९.
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