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भास
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ससहरहारिवयण !
जय जिणवर ! जय कोमल कमल विशाल नयन ! जय सरस अमियरससरिस वयण !
जय महिममहियह देवरयण ! || १८ | जय विउलमिउलक्खण निहाण !
दीहरकर पल्लव मलिय माण ! मन वंछियपायवराय पाय !
लवणिमभरभंजिय मयणराय ! ||१९||
जय मोहनरिंदगइंदसीह !
नीरागे ! निरंजण ! जिण ! निरीह ! गुरुदुरियतिमिरभर हरण दीह !
तिय लोय सिरोमणिलद्वलीह ! ||२०|| विलसंत अनंत गुणाण ठाण !
संवच्छर निच्छिय दिन्नदाण !
भवसिंधु तरण तारण समत्थु !
भास
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अइउत्तम बत्तियवंस जाय !
पडियहं आलंबणु देह हत्थु ||२१||
करुणारससायर पुष्णचंद
सिवसुंदरि सुक्खनिबद्धराय !
सीमंधर ! सामिय ! नंद नंद ||२२||
अंधणुपर उवयार परायणु नागचरणदंसण गुण भायणु । जिणवर आणविहाणपरेसु पुंडरगिरि पुरिपमुह परेसु ॥२३॥ सुररइए ठबंतु नवेसु पायकमलु कंचन कमलेसु । चविह सुविहि संघ परिवारो, सिरि सीमंधरु करइ विहारो ||२४||
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