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________________ शुद्धि पत्रक मदीयो बदन्ति XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX | पृष्ठम् पंक्ति अशुद्ध शुद्ध | पृष्ठम् पंक्ति अशुद्ध शुद्ध ३०१ १३ ज्ञेयं ज्ञात ३४) १ ६ वेपमानांगुली मिव वेपमानांगुलि यथा मदीयः ३४ २ १० कर्मपन्न कर्मबले पृच्छकामुत्तरं प्रच्छकायोत्तरं ३५/ १४ संघर्षस्तत्र तत्रसंघर्ष श्रेष्टिनः पुत्रो गृहे श्रेष्ठिन: गेहे पुत्री "" ६ असीति । अस्मीति ३१ १ १४ ऽपसह्यत्तरं ऽसह्यत्तरं ३१/ २ १० बदन्ती ३१॥ २ करिष्यामि करिष्यामि १२ नौष्ठी नोष्ठो ३२। १ ६ दृटे ३१/२ १३ गोत्रे मानसा ३६। १ १ तबाह तैरहं ब्राह्मणवृवैः ३२ २ पूर्ण वृतान्ते पूर्णवृत्तान्ते दुर्गुणै जित दुर्गुणौर्जितखान्त भनवयं मनवद्य २ तिगति तिरति ३३/ १ १ जिच्चेव जिच्चैव यदि १. अपानयं अपानयंच | ३७/ १ ७ थार्थ यथाथ MEXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX दृष्टे गोत्रेण For Private And Person Only
SR No.008672
Book TitleTarangwati Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjitsagarsuri
PublisherBuddhisagarsuri Jain Gyanmandir
Publication Year
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size14 MB
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