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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org वार संवत २४५० विक्रम संवत १९८० वैशाख वदि ३ बुधवार ता. २१ मे सने १९२४ मु. गोधावी. आवा अपूर्व प्रतिष्ठा महोत्सव प्रसंगे अमारी विनयभरी बिनतिनो स्वीकार करी पूज्यपाद प्रातः स्मरणीय शास्त्रविशारद जैनाचार्य योगनिष्ठाध्यात्मज्ञान दिवाकर श्रीमद् बुद्धिसागर सूरीश्वरजी महाराज, स्वशिष्य व्याख्यानवाचस्पति प्रसिद्धवक्ता अनेक ग्रंथ रचयिता स्वपर सर्वशास्त्र ज्ञाता जैनधर्म रक्षाकारक शान्तमूर्ति सर्वदेश प्रसिद्ध आचार्य श्री अजितसागर सूरिमहाराज तथा प्रवर्त्तक श्री ऋद्धिसागरजी महाराज तथा विहित प्रवचनोक्त क्रियाकलाप पन्यास श्री महेन्द्रसागरजी महाराज तथा स्थविरमुनि वर्यश्री वृद्धिसागरजी पंडित पदालंकृत विनेय श्री कीर्तिसागर महाराज तथा शांतमूर्ति श्री जयसागरजी महाराज तथा अध्ययनोत्सुक मुनिश्री हेमेंद्रसागरजी तथा उग्र तपस्वी मुनिश्री नरेंद्रसागरजी तथा अध्यात्मरसिक मुनिश्री उत्तमसागरजी विगेरे मुनिमंडल सहित पधारवाना छे अने प्रतिष्ठा करवाना छे. तेमनो सदुपदेश तथा साधु दर्शन, वंदन अने प्रतिष्ठा (अंजन शलाका ) विगेरे मांगलिक प्रसंगोनो लाभ लेवा आप सर्वे सपरिवार पधारी जैनशासन तथा संघनी शोभामां वृद्धि करशोजी. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ले. श्री संघसेवक. अमृतलाल केवळदास ना स्नेहपूर्वक जयजिनेंद्र स्वाकारशो. वि. सूचना - गोधावीगाम अमदाबाद पासे आवेला साणंद स्टेशनथी मात्र एक मल दूर छे त्यां दरेक टाइमे स्टेशन उपर गाडी घोडा बिगेरे रहे है. For Private And Personal Use Only
SR No.008666
Book TitleStavan Sangraha Devvandana Sahit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1926
Total Pages274
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size11 MB
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