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भजनसंग्रह भाग ९ छपाइ बहार पडयो छे.
मुरीश्वरजीनी आभ्यंतरभावनाना प्रतिबिंबरूपरसथी छलाछलसुंदर पद्योथी भरपूर आ पुस्तक खरेखर गुजरातना काव्य भंडोळमां अगत्यनो उमेरो करे छे, ते जाणीने खरेखर दरेक गुजरातीने आनंदन थशे. आ संग्रहमां वैराग्य, अध्यात्म ज्ञानचारित्र तथा नीतिना तरंगो छलकाता होवाथी जगत्मां तेनो प्रचार एकदम थकानी जरुर छे. वळी तेओए जैनजगत्ने हालनी मंदावस्थामांथी जागृत करवा सार अने लोकोने कर्तव्यपरायण करवासारु जुदा जुदा पात्रोद्वारा अनेक विषयो चर्ची जैनजगत्ने तद्दन नवी ढबे कर्तव्यदिशानी मार्ग जणान्यो छे. जेथी जैन जगत् खरेखर पनिशील बनी जश. अने जैनजगत् खरेखर वखतसरनी कार्यपणाठेकारूप मार्गमां विचरशे. हालनी स्वराज्य अने स्वदेशनी अध्यात्मिक भावनाने पण आ ग्रंथमां योग्य स्थान मळ्यु छे, एटलंज नहि पण बाह्य स्वराज्य अने बाह्यस्वदेशनी साथे आभ्यंतर स्वराज्य अने आभ्यंतर स्वदेश के सर्वविश्वजनोनुं परमादर्शध्येय छे, अनेक गृढतत्वोथी भरपूर तथा ज्ञाति अने धर्मना भेदभावरहित दरेकने समान उपयोगी आ पुस्तक छे. एक वार वांच्याथी हाथमांथी मूकवानुं मन थशे नहीं. सुंदर पाकुं वाइन्डींग पृष्ठ ५८० किंमत रु.१-८-० पोस्टेज अलग.
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