________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
श्रीमद् देवचन्द्रजी महाराजनां पुस्तको मेळवी आपवामां जे जे मुनि महाराजाओए तथा अन्य ग्रहस्थोए मदद करेली छे तेमज जे जे ग्रहस्थोए द्रव्य स्हाय करी छे तेमनो अने मारा सहाव्यायी बंधु माणेकलाल वरजीवनदास, मंगलभाइ लक्ष्मीचंद (वड़) प्रेमचंद दलसुखभाइ तथा भाइलाल चुनीलाल वगेरे जेमणे आ कार्यमा घणी मदद करी छे ते सर्वनो प्रथम भागमां उपकार मानवामां आवेलो छ तेमज आ बीजो भाग छपावी पूर्ण करती वखते पण फरीथी उपकार मानवामां आवे छे.
___श्रीमद् देवचन्द्रजी महाराजना ग्रंथो बहार पाडनार अमो तेमज आ कार्यना मुख्य उत्पादक श्रीमद् बुद्धिसागर सूरिजी महाराज ए सर्वे मोटा भागे तपगच्छना छैए छतां श्रीमद्ना गुणानुरागथी तेमना ग्रंथो छपाववामां अहोभाग्य मानीए छीए तेज प्रमाणे खरतर गच्छना मुनिराजो तथा श्रावको श्री तपागच्छना मुनिओ उपर गुणानुरागी बनी तेमना बनावेला उत्तम ग्रंथो बहार पाडी बन्ने गच्छवाळा परस्पर सहकार्यथी प्रयत्न करशे तो जैन कोमने घणो लाभ
थशे.
___सं १९७५ ना वैशाख सुदि ६ ना दीवसे पादरामां श्री शांतिनाथजी महाराजना देराशरना ध्वजा दंडारोपण महोत्सवना वरघोडामां जैनाचार्य श्रीमद् बुद्धिसागरसूरिजी महाराजना उपदेशथीं श्री कल्पसूत्र, महोपाध्याय श्रीयशोविजयजी महाराजना ग्रंथो तथा श्रीमद् देवचन्द्र भाग पहेलो तथा श्री आनंदघनपद भावार्थ संग्रह ए ग्रंथोने लेइ बहुमान पुर्वक खास
For Private And Personal Use Only