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अष्ट प्रवचन मातानी सझाया.
देवचंद एहवा मुनिराजना, वंद्रे पय अरविंद || सहज० ॥ १५ ॥
॥ ढाल पांचमी ॥ चेतन चेतजोरे ॥ ए देशी ॥
पंचमी समिति कहि अति सुंदरूरे, पारिठावणिया नाम ।
परम अहिंसक धर्म वधारणी रे,
मृदु करुणा परिणाम ॥ १ ॥ मुनिवर सेवज्यो रे,
समिति सदा सुखदाय । थिरता भावे संयम सोहायछेरे,
निरमल संवर थाय ॥ मुनिवर० ॥ २ ॥ देह नेहथो चंचलता वधेरे,
विकसे दुष्ट कषाय । तिण तनु राग ध्याने रमेजी,
ज्ञान चरण सुपसाय ॥ मुनि० ॥ ३ ॥ जिहां शरीर तिहां मल उपजेरे, तेह तणो परिहार |
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