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अष्ट प्रवचन मातानी सझ्झायो. १००३
॥ ढाल चोथी॥ ॥ भोलीडा हंसारे विषय न राचीए ॥ ए देशी ॥
समिति चोथोरे चउ गति वारणी, भाखी श्री जिनराज। राखी परम अहिंसक मुनिवरे, चाखी ज्ञान समाज ॥ १॥ सहज संवेगोरे समिति परिणमे, साधन आतम काज । आराधन ए संवर भावनो, भव जल तारण जहाज ॥ सहज० ॥२॥ अभिलाषो निज आतम तत्त्वना, साखी करि सिद्धांत ॥ नाखो सर्व परिग्रह संगने ध्यानाकाशीरे संत ॥ सहज० ॥३॥ संवर पंचतणी ए भावना, निरुपाधिक अप्रमाद । सर्व परिग्रह त्याग असंगता, तेहनो ए अपवाद ॥ सहज० ॥४॥ श्याने मुनिवर उपकरण संग्रहे, जे परभाव विरत्त ।
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