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गिरनार स्तुति.
|| गिरनार स्तुति ॥
यादव कुलमंडण नेमिनाथ जगनाथ, त्रिभुवण जनमोहन शोभव शिवपुरसाथ; गिरनार शिखर शिर दीक्षानाण निव्वाण, सोरिपुर नयरे चवण जनम सुखकार ॥ १ ॥ इम भरते पंचे इखते वलीसार. चोवीसी जिननी थाये जन आधार; तसु पंच कल्याणक वंदे पूजे जेह, निरुपम सुख संपत्ति निश्चे पामे तेह ॥ २ ॥ जीन मुख लही त्रीपदी गुंध्या जेह, वर अंग अग्यारह दृष्टिवाद गुण गेह; त्रिणि काले जिनवर कल्याणक विधितेह, समकित थिरकारण सेवो धरीये सनेह ॥ ३ ॥ श्री नेमिजीणेसर शासन विनयरत्त, जिनवर कल्याणक आराधक भविचित्तः देवचंद्रने शासन सानिधि कर नित मेव, समरीजे अहनिशि सा अंबाई देव ॥। ४ ॥
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