________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
नवपद पूजा.
प्रभाव अतिशय, प्रातिहारज शोभता ॥ जगजंतु करुणावंत भगवंत भविजननें क्षोभता ॥ २ ॥
सिद्धपदपूजा ॥
॥ सकलकरममल क्षय करी, पूरण शुद्धस्वरूपोजी ॥ अव्याबाध प्रभुतामयी, आतम संपतिभूपो जी ॥ ३ ॥ उलालो । जेह भूप आतम सहज संपत्ति, शक्तिव्यक्तिपणे करी ।। स्वव्यक्षेत्र स्वकालभावें, गुण अनंता आदरी ।। सुस्वभावगुणपर्याय परिणति, सिद्धसाधन परभणी ॥ मुनिराज मानसहंससमवड, नमो सिद्ध महागुणी ॥ ४ ॥
आचार्यपदपूजा ॥ ॥ आचारज मुनिपति गणि, गुणछत्रीशी धामोजी ।। चिदानंदरस स्वादता, परभावे निःकामो जी ॥ ५ ॥ उलालो ॥ निःकाम निर्मल शुद्धचिद्वन, सायनिज निरधारथी । निजज्ञान दर्शन चरण वीरज, साधनाव्यापारथी । भविजीव बोधक तत्त्वशोधक, सयलगुणसंपत्ति धरा ॥ संघरसमाधि गतउपाधि, दुविध तपगुण आगरा ॥६॥
उपाध्यायपदपूजा॥ ॥ खंतिजुआ मुत्तिजुआ, अज्जत मुद्दव जुत्ताजी ॥ सञ्च सोयं अकिंचणा, तब संजम गुणरत्ताजी ॥ ७॥ उलालो ।। जे रम्या ब्रह्ममुगुत्ति गुत्ता, समिति रमिता श्रुतधरा ॥ स्याद्वादवादे तत्त्ववादक, आत्मपरमंजनकरा ॥ भवभीरु साधन धीर
For Private And Personal Use Only