SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 431
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org - ८५२ स्नात्र पूजा विधि. ।। ए गाथाओ का पछी प्रथम अक्षतनें धोइ तेओ ने केशर तथा चंदन लगाडवं, तथा पुष्पोने पण जलथी शुद्ध करी राखवां, तदनंतर ते अक्षत तथा फुलनी कुसुमांजलि हाथमां लइ, उभा थइने " नमो अरिहंताणं, नमोऽहंसिद्धा० " ।। एम पाठ कहेवो. अने पछी बे लोक पटन करवा, ते आ प्रमाणे: Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ श्रीमत्पुण्यं पवित्रं कृतविपुलफलं मंगलं लक्ष्म लक्ष्म्याः, क्षुण्णारिष्टोपसर्गग्रहगतिविकृतिस्वनमुत्पातघाति ।। संकेतं कौतुकानां सकलमुखमुखं पर्व्व सर्वोत्सवानां, स्नात्रं पात्रं गुणानां गुरुगरिमगुरो चिता यै र्न दृष्टम् ।। १ ।। अशेषभवनांतराश्रितसमाजखेदक्षमो, नचापि रमणीयतामतिशयीत तस्यापरः || प्रदेश इह मानतो निखिललोकसाधारणः, सुमेरुरिति तापिनः स्त्रपनपीठभावं गतः ॥ २ ॥ ॥ एम कह्या पछी स्नात्र पीठ सन्मुख कुसुमांजलि अर्पण करवी, तदनंतर स्नापनपीठ पखाली लुछीने कुंकुमनो स्वस्तिक करवो, धूप उखेववो, अने सर्व स्नात्रीयाओना हाथने धूपावली आपवी, पछी कर्पूर लगाडवो, अने एक नवकार कहीने स्नात्रपीठ उपर प्रतिमाजीनी स्थापना करवी, ते प्रतिमा प्रायः पंचतीर्थिक, अर्थपरकरसंयुक्त स्थापवी, तेना मुख आगल अक्षतोनी ढगली करवी, अने तेनी उपर पंचामृतनो एक कलश मुकवो, पछी हाथमां कुसुमांजलि लइने "मुक्तालंकार विकार०" ए आर्या भणी कुसुमांजलि अर्पण करीने, प्रतिमाजीनां निर्माल्य उतारी प्रक्षालन करवुं, अंगलहणायी प्रमाजिने धूप उखेववो, अने केशर, चंदन, कर्पूर तथा कस्तूरी For Private And Personal Use Only
SR No.008662
Book TitleShrimad Devchandra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year
Total Pages670
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Worship
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy