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निवेदन.
श्रीमद् बुद्धिसागर सू रिजी ग्रंथमाळाना ओगणपञ्चाशमा मणका तरीके श्रीमद् देवचन्द्र प्रथम भाग छपाया पछी दोढ वर्षे आ श्रीमद् देवचन्द्र बीजो भाग बहार पडे छे.श्रीमद् देवचन्द्रजी महाराजना तमाम ग्रंथो एकत्र करी छपाववानी योजना जैनाचार्य श्रीमद् बुद्धिसागर सूरिजीनी प्रेरणाथी अने उपदेशयी क्यारे अने केवी रीते थई, तेमज क्या ग्रंथो क्याथी केवी रीते मळ्या ते सर्वे हकीकत श्रीमद् देवचन्द्र प्रथम भागनी प्रस्तावनामां विगतवार जणावेली होवाथी ते फरीथी अत्रे जणावेल नथी. प्रथम भागनी ५०० नकलो छपावी हती तेमांयी जैन पुस्तक भंडारो तथा साहाय्य करनार विगेरेने भेट आपवमा १५० नकलो तेमज वेचाणमां २०० नकलो मळी एकंदर ३५० नकलो खपी छे जो के मागणीओ घणीज आवे छे छतां नकलो थोडी होवाथी उपयोग प्रमाणे आपवामां आवे छे.
श्रीमद् देवचन्द्र वीजा भागनां एकंदर पृष्ट १२०० ना आशरे छे अने तेनी पण ५०० नकलो छपावी छे, ग्रंथन कद भारे थवाथी त्रणसो नकलो बे कडके बांधवामां आवी छे ते पैकी पहेला कङकामां विचारसार ग्रंथ अने बाकीना ग्रंथो बीजा कडकामां आव्या छे. बाकीनी २०० नकलो आखी बांधवामां आवशे जे पुस्तकालयो वगेरेने आपवामां उपयोगी थशे.
श्रीमद् देवचन्द्र बीजा भागमा जे जे ग्रंथो छपाया छे
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