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(१९) १४ श्री अनंतनाथजीना स्तवनमा प्रभु
दर्शनथी साधक जीवना आत्मगुणनी
पुष्टि थाय छे विगेरे कथन छे. ६८२ १५ श्री धर्मनाथजी स्तवनमा सामान्य स्व
भाव तथा विशेष स्वभावना भेद विस्तास्थी वर्णव्या छे.
६८७ १६ श्री शांतिनाथजीना स्तवनमा सातनये
प्रभु स्थापनानुं वर्णन तथा स्थापना ते मोक्षy निमित्त कारण सातनये छे ते समजाव्युं छे.
६९९ १७ श्री कुंथुनाथजीना स्तवनमा प्रभु देश
नाना वर्णन प्रसंगे अर्पितानर्पित नयन तथा सप्तभंगीतुं सकलादेशि
विकला देशि भांगा सहित वर्णन छे. ७०९ १८ श्री अरनाथ जिन स्तवनमा उपा
दान, असाधारण, निमित तथा अपेक्षा कारण, स्वरूप तथा ते कारणता प्रगट करवी ए कर्ताने वश छे विगेरे वर्णन छे.
७२० १९ श्री मल्लिजिन स्तवनमा छ कारकनी
साधकता बाधकता तथा शुद्धतानुं वि
स्तारथी वर्णन छे. २० श्री मुनिसुव्रत जिनस्तवनमा पुष्ट तथा
अपुष्ट निमित्तनुं स्वरूप तेमज पुष्ट निमित्तवडे सिद्धतारूप कार्य निपजा
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