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आगमसार.
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wommmmmmmmm अर्थ-जेने छ कायनी दया नथी, घोडानी पेरें उन्मत्त छ, हाथीनी पेठे निरंकुश छे, पोताना शरीरने धोवतां मसलता उजले कपड़े, शिणगार करी गच्छना ममत्वभावे माचतां स्वेच्छाचारी वीतरागनी आज्ञा भांजता जे तप क्रिया करे छे ते पण द्रव्य निक्षेपामां छे. अथवा ज्योतिष वैद्यक करे छे अने पोताने आचार्य उपाध्याय कहेवरावीने लोक पासे महिमा करे (करावे छे) छे ते पत्रीबंध खोटा रूपैया जेवा छे. घणा भव भमसे माटे अवंदनीक छे ए साख उत्तराध्ययनमध्ये अनाथी मुनिना अध्ययनथकी जाणवी अने सूत्रना अर्थ गुरुमुखे शिख्या विना तथा नय प्रमाण जाण्या विना निश्चय आत्मानुं स्वरूप ओलख्या विना नियुक्ति विना उपदेश आपे छे ते पोते तो संसारमा बुड्या छे पण जे तेमनी पासे बेसे छे तेमने पण संसारमा बुडावे छ एम प्रश्न व्याकरण सूत्र तथा अनुयोगद्वार सूत्रमा का छे “ अज्जत्थ चेत सोल समं” इत्यादि अने भगवती सूत्रमां पण कयुं छे “ सुतत्थो खलु पढमो, बीओ निजुत्ति मिसओ भणिओ, इत्तो तईयणुओगो, नाणुनाओ जिणवरेहिं " अने केटलाक एम कहे छे जे अमे सूत्र उपर * अर्थ करिये छैयें तो नियुक्ति तथा टीका प्रमुखनुं शुं काम छे ते पण मृषावाद
___ * श्री भगवती सूत्रमा “ सुत्तत्थोखलु पढमी, बीओनिज्जुत्ति मिसओ भणिओ ॥ इत्तो तईयंणुओगो, नाणुन्नाओजिणवरेहिं" एवी रीते आगमसारनी जूदी जूदी त्रण प्रतोमां लख्युं हतु माटे में पण तेमन लख्युं छे पण बीजा ठेकाणे ए भगवतीनी साख . दीधी छे तिहां तो " मुतात्यो खलुपढमो, बीओनिज्जुत्ति मिसओ भणिओ ॥ तइओय निरक्सेिसो, एस विहि होइ अणुओगो" एवो पाठ छे ते खरो जणाय छे पछे बहुश्रुत कहे ते खलं.
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