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आगमसार.
२१
एम कहे जे सदाकाल सर्व वस्तुमा एक वर्तमान समय वर्ते छे एटले जे जीव गया काले अज्ञानी हतो अने अनागत कालें अज्ञानी भावें अज्ञानी थशे एम बेहु कालनी अपेक्षा न करे पण एक वर्तमान समये जे जेवो तेने तेवो कहे ते सूक्ष्म ऋजुसूत्र कहियें अने महोटा बाह्यपरिणाम ग्रहे ते स्थूल ऋजु सूत्र नय जाणवो. एटले रुजु 'सूत्र मय कयो.
हवे शब्दनय कहे छे. जे वस्तु गुणवंत अथवा निर्गुण ते वस्तुने नाम कही बोलावियें जे भाषा वर्गणाथी शब्द पणे वचन गोचर थाय ते शब्दनय जे कारणे अरूपी द्रव्य वंचनथी कहेवा ते शब्दनय कहिये इहां जे शदन्नो अर्थ होय ते पणो जे वस्तुमां वस्तुपणे पामिये ते बारे ते वस्तु शब्दनय कहिये जेम घटनी चेशने करतो होय ते घट. ए शब्दनयमां व्याकरणथी नीपना अने बीजा पण सर्व शब्द लीधा ते शब्दनयना चार भेद छ १ नाम २ स्थापना ३ द्रव्य ४ अने भाव चार निक्षेपामा पण एहिज नमि छे.
१ पहेलो नाम निक्षेपो ते आकार तथा गुणरहित बस्तुमे नाम करी बोलाववो. जेम एक लाकडीनो कटको लेइने कोइके तेहंने जीप ए, नाम कह्यं ते नाम जीव जाणवू. जेम काली दोरीने सापनी बुद्धिय करी धावेहणे तेहने सापनी हिंसा लागे ए नाम सपे थयु. एवीज रीते नाम तप अथवा माम सिद्ध जेम पड प्रमुखने सिंबड एम कही बोलावे छे ते नाम निक्षेपो कहिये ए सुत्र साखें छे.
२ स्थापना निक्षेपो कहे छे. जे कोईक वस्तुमां कोइक वस्तुनो आकार देखीने तेहने ते वस्तु कहे जेम चित्रामण अथवा काष्ट पाषाणनी मूर्ति तेने घोढा हाथीनो आकार छे तो ते
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