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गुणठाणाअधिकार.
अतीशय नहोवे ते छेडे आवरजीकरण करे पछी जो आऊखो अने बीजा करम सरखा होवे तो केवली समुद्घात न करे, अने जो आऊखेथी करम घणा होवे तो केवली समुद्घात करे तेहने आठ समयलागे. ए तेरमा गुणठाणानी स्थिति जघन्य अंतर्मुहूतनी छे उत्कृष्टे देशे उणीपूर्व कोडी वर्षनी छे १३ चउदमे गुणठाणे अयोगी केवली ते जे जीव तेरमे गुणठाणे जोगरोध करवा मांडे, सूक्ष्म क्रिया अप्रतिपाते शुक्ल ध्याननो बीजो पायो ध्यावतो ते चउदमे गुणठाणे चढे तिहां प्रथमथी बादर मनोजोग रोके पछी बादर वचनजोग रोके पछी बादर कायाजोग रोके पछी मूक्ष्म मनोयोग रोके पछी सूक्ष्म वचनजोग रोके पछी सूक्ष्म कायाजोग रोके शरीररहित थाए जेटलो देहमान होवे जघन्य बे हाथनो उत्कृष्टो पांचसे धनुषनो बीजे भागे घटाडे, तेवारे जघन्य बत्रीस आंगुलनी उत्कृष्ट तीनसेतेत्रीस धनुष बत्रीस आंगुलनी अवगाहना रहे, तेवारे आत्मा अयोगी अक्रिय, अलेसी, अनाहारी, अशरीरी, शुक्ल ध्याननो चोथो पायो थईने अवाती करम च्यार, वेदनीकर्म १ आउखोकर्म २ नामकर्म ३ गोत्रकर्म ४ नो क्षय करीने मोक्ष जाय ॥ इतिश्री चउदमुं गुणस्थानकं संपूर्णम् ॥
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