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(२००) दीपकने व्यंजक सम्यक्त्व कहे छे पोते स्वयं जे मिथ्यादृष्टि जीव होय अने अन्योने यथावस्थित जीवाजीवादि पदार्थ समजावे छे तेने अंगारमईकनी पेठे दीपक सम्यक्त्व होय छे. _ द्रव्यसम्यक्त्व-तत्र जिनोक्तत. त्वेषु सामान्येन रुचिर्द्रव्यसम्यक्त्वम्-त्यां जिनोक्ततत्वोमां सामान्यथी जे रुचि थाय छे तेने द्रव्यसम्यक्त्व कहे छेद्रव्यसम्यक्त्व ते भावसम्यक्त्वनुं कारण छे. कारण विना कार्यनी उत्पत्ति थती नथी. द्रव्यसम्यक्त्व विना भावसम्यक्त्वनी प्राप्ति थती नथी. नामसम्यक्त्व, स्थापनासम्यक्त्व, द्रव्यसम्यकूत्व अने
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