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(१९०) क्षयोपशमसम्यक्त्व = अनंतानुबंधीनी चोकडी, मिथ्यात्त्वमोहनीय, मिश्रमोहनीय अने समकितमोहनीय ए सात प्रकृतिनो प्रदेशोदय अने समकित मोहनीयनो प्रदेशोदय अने रसोदय जेमां होय तेने क्षयोपशम सम्यक्त्व कहे छे. कम्मगंथेसुधुवं । पढमोवसमी करेइ तिपुंजं! तव्वडीओपुणगच्छइ। सम्मे मिसंमि मिच्छेवा ॥ उपशम सम्यक्त्वथी च्युत थतां जो जीव सम्क्त्व मोहनीयने पामे छे तो तेने क्षयोपशम सम्यक्त्वनी प्राप्ति थाय छे. कर्मग्रन्थना मत प्रमाणे एम जाणवू. सिद्धांतना मत प्रमाणे औपशमिक सम्यक्त्वथी च्युत अवश्य
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