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(९६)
सप्तभंगी, स्वरूप. १ स्यात् अस्ति. स्यात् कहेतां अने कान्तपणे सर्व अपेक्षा लेइने जीवद्रव्यमां आपणो द्रव्य, आपणो क्षेत्र, आपणो काल, तथा आपणो भाव, एम स्वगुण पर्याये जीव छे, तेम सर्व द्रव्य आपणे गुण पर्याये छे. ते स्यात् अस्ति नामनो पहेलो भांगो जाणवो.
२ स्यान्नास्ति. जीवद्रव्यमां बीजा पांच द्रव्यना द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव, ते पर द्रव्यना गुणपयोय जीवद्रव्यमां नथी, एटले पर द्रव्यना गुणनो नास्तिपणो जीव द्रव्यमां छे ए स्यात् नास्ति नामे बीजो भांगो थयो.
३ स्यात्अस्ति नास्ति द्रव्य स्वगुणे अ. स्ति अने परगुणे नास्ति ए बे भांगा एक
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