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सरुपसागरजीने साथे लेइ पद्मसागरजीए मारवाडमा विहार को.
संवत १८१७ वैशाख शुदि १० दशमना दीवसे श्री अजितनाथजीनी अंजन शलाका उ. देपुरना संघे सुज्ञानसागरजीना हाथे करावी. संवत १८१९ ना माह शुदी ५ ना उदेपुरमा श्रीपद्मनाम महाराजनी प्रतिष्टा श्री सुज्ञानसागरजीए करावी. प्रतिष्टा करावी ए शब्दथी एम समजवु के मुनिराजने योग्य प्रतिष्टा संबंधी केटलीक क्रियाओ छे ते करावी तेम समजवू कहेवाय छे के अमुक सूरिए अमुक बिंबनी प्रतिष्टा करावी तेम समजवू. मुज्ञानसागरजीए संग्राम गढथी जीर्णग्रंथो मंगावी उदेपुरना ज्ञान भंडारनी वृद्धि करी. पाटणना श्रावकने.