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वीसमी परोपकारगुणपूजा.
दुहा. धर्मस्वरूपने जाणीने, परोपकारी थाय; निष्कामी महासत्त्व ते, नरनारी शिवपाय. ॥१॥ उपकारी नरनार, धर्मी ते उपकारी नरनार० ॥
परहित करवामां जे तत्पर, अर्पाइ जाय सदाय; अन्यजनोने धर्ममां योजे, परमार्थे जीवन जाय. धर्मी०१ उपकारनुं फल मुक्ति इच्छे, भवमा रही निष्काम; तनमनधन अर्पे परमार्थे, पामे शिवपुर ठाम.
धर्मी०२ परोपकारी धर्मी श्रावक, थाय मुनि भगवान् तीर्थकर आदि पदवीने, पामे केवलज्ञान.
धर्मी०३ महासत्त्व नरनारी धन्य ते, देवगुरुना भक्तः
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