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( गंगातट तपोवनमारे, बनी रचना भारी. ए राग. ) विमलाचल व्हालारे, नमुं गुणभंडारी; वीतराग जिनेश्वररे, स्तवं विभु गुणधारी. साखी.
श्रानन्दघर पुण्यकंदने, जयानन्द सुविशाल; जगतारण पाताल मूल, विभास मंगलमाल.
अकलंक अनादिरे, अनन्तने अविकारी; अजरामर नामेरे, क्षेमंकर अघहारी. साखी.
सहस पत्र गुणकंदने, अमरकेतु गिरिराज; तमकंद कर्मक्षय ने - शिवंकर गुणराज,
राज राजेश्वर सदारे-नमुं गुण निर्धारी; मोहपरिणति वारीरे - रहुं नहिं संसारी.
साखी.
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वि० १
वि० २
सुमति श्रेष्ठाय कंदने, महोदयहेतु सुजाण; गजचन्द्र अचल सुरकांत छो, तीर्थरूपी भगवान्. एम नाम घणेरांरे, स्मरण करुं सुखकारी: बुद्धिसागर तीरथरे, सकलनये जयकारी. विमला० ३ काव्यं ॥ सरस शान्ति० ॥
॥ ॐ परम० जलादिकं यजामहे स्वाहा ॥