SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 576
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ५१७ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ तृतीया पुष्पपूजा. ॥ जिनवरमहावीरभक्तिथी, मुक्ति लहे नरनार; प्रभुगुणपुष्पनी मालथी, पूजो प्रजु जयकार. ॥ १ ॥ जैनधर्मश्रद्धा धरो, सर्वसंघनी सेव; जिनवर महावीर देवनी, पूजानी ए टेव ॥ २ ॥ प्रभु महावीर उपदिश्यां षड्द्रव्यो नवतत्त्व; सत्य गणीने वर्तयुं, ए प्रभुपूजा सत्व ॥ ३ ॥ ( निशानी कहा बतार्बुरे. ए राग राग गोडी. > जिनेश्वर महावीर ! प्यारोरे, सर्वविश्व आधार. जिनेश्वर० ॥ १ ॥ तुज हृदयथी प्रगटियोरे, जैनधर्म छे सत्यः सकलसंघनी सेवनारे, तुज पूजानुं कृत्य. जि० ॥ २॥ केवलज्ञानी तुं प्रभुरे, तुज वचनानुसार; वर्तवं पुष्पनी पूजनारे, धरवा धर्माचार, जिने० ॥२॥ सुज मन मन्दिरमां वसोरे, क्षण पण थाओ न दूर; तुज विरहो न खमी दाकुरे, रहेशो हजराहजूर. जिने० ॥ ३ ॥ नयनिक्षेपप्रमाणथीरे, जैनागम अ नुसार प्रभु तुज ध्यानसमाधिथीरे, प्रगट्यो रस जयकार. जिने० ॥ ४ ॥ अनेकांतसत्तामयीरे, अनंत गुण आधार; एक आधार प्रभु तुहिरे, आनंदमय निर्धार. जि० ॥ ५ ॥ सेवा आदि गुणमयीरे, सा For Private And Personal Use Only
SR No.008634
Book TitlePooja Sangraha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1924
Total Pages620
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Ritual_text, & Ritual
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy