________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
४५९ गीत राग-मालवी गोडी. वासथकी प्रभु पूजासारी, नक्तजनोने प्यारीरे; गुणीनी सेवा प्रगट करे गुण, प्रभुगुणनी बलिहा. रीरे, वास ॥ १ ॥ समकितवासे प्रभुपजंतां, गुणगण प्रगटे जारीरे; प्रभुगुणवासे वासित बातम, शुद्धातम निर्धारीरे. वास ॥ २ ॥ सर्वविरति संयमगुण वासे, मोहनी दुर्गध नासेरे; समकितवासे प्रभु निज पासे, आपोआप प्रकाशेरे. वास० ॥३॥ निमित्त शुद्ध उपादानवासे, चढतां नाव वधारीरे; बुद्धिसागरआत्मविकासो, प्रभुपूजी नरनारीरे. वास० ॥४॥ ॐ वासंय० स्वाहा ॥
पंचमी पुष्पपूजा. द्रव्यभावसुपुष्पथी, पूर्जतां जिनराज; अंतर आतम उल्लसे, प्रगटे प्रभुसाम्राज्य. ॥१॥
प्रभु निर्मल दर्शन कीजीए ए-राग.
सारंगरागण गीयते. पूजीए पूजीए पूजीए, जिनराजने प्रेमे पूजीए.॥ प्रभुगुणअमृत पीजीए, जिनराजने प्रेमे पूजीए;॥
For Private And Personal Use Only