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चतुर्थी गुरुजाप गुरुस्मरण भक्तिरूपा धूपपूजा,
सद्गुरुनामने स्थापना, द्रव्यनाव निक्षेप; साचा ते अवलंबतां, रहे न कर्मनी रेख. ॥१॥ सद्गुरु नामना जापथी, मोह न आवे पास, प्रभुमहावीर नामना, जापे सदगुणवास. ॥ २॥ सद्गुरुनामना जापी, आतमशुद्धि थाय; द्रव्यनावथी धूपनी, पूजा छ शिवदाय. ॥३॥
___ सारंगराग. रीझीए रीझीए रीझीए, गुरुनाम जपी दिल रीझीए; गुरुसंगी रसिया थे रागे,आतमरसने पीजीए, गुरु० ॥ १॥ गुरुना द्वेषी नास्तिकजननी, संगति क्यारे न कीजीए; गुरुना रागी भक्तनी संगे, आत. मरसने लीजीए. गुरु० ॥२॥ समकिती चारित्री गुरु. पर, शंकादि न धरीजीए; कडवी शिक्षा अमृतसरखी, मानी क्यारे न खीजीए. गुरु० ॥ ३॥ आतम सर्व गुरुने निवेदी, गुरुनक्तिरस पीजीए; गुरुनिन्दक प्रतिपक्षी वचनार, विश्वास क्यारे न दीजीए. गुरु० ॥४॥ गुरुनाम जापनी धूपपूजाथी, दुर्गधमोह हरीजीए; बुद्धिसागरसद्गुरुजापे, प्रभुपद सहेजे वरीजीए, गुरु० ॥५॥
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