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द्वितीयापूजा.
दुहा. स्नात्र भणावी पार्श्वनुं, पूजा कीजे सार; पूजक पूज्यनी पूजना, समजीजे सुखकार. ॥१॥ बेउ पासे वीजीए, चामर चारु उमंग; दर्पण प्रभु आगळ धरो, होवे जयजयरंग. ॥ २ ॥ __ (सुतारीना बेटा तुने विनर्बुरे लोल-ए देशी.)
प्रभु पार्श्वजिनेश्वर गावीऐरे लोल, श्री संखे. श्वरप्रभुनामजो, तुजनामथी नवनिधि संपजेरे लोल, मनवांडित सिद्धे कामजो; नाम रुडं संखेश्वर पास-रे लोल. मिथ्यात्वदशा दूर थायजो; शुद्ध श्रद्धा हृदय प्रगटायजो. नाम रुपुं० ॥१॥ पूजा वास्तुक दोय प्रकारनीरे लोल, शुभ अशुभ भेद कहायजो; द्रव्यवास्तुकपूजाना ए कह्यारे लोल, तेह हरखे कहुँ चित्त लायजो. नाम रुहुं० ॥ २ ॥ मिथ्यात्वहिंसादिक दोषथीरे लोल, अशुन वास्तुक कार्य कथायजो, घरमहेलमां महीपनी बुद्धिएरे लोल, काळु कापंतां हिंसा गणायजो. नाम रुडुं० ॥३॥ अन्यायवित्तादिकपापथीरे लोल, घर महेल प्रासाद करायजो, अशुभवास्तुकपूजन कर्मथीरे लोल,
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