SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 455
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३९६ कारे लोल, केवल एक उदाररे. हुं० भाव० ॥ ३ ॥ केवलज्ञान प्रत्यक्ष बेरे लाल, तेहथी सर्व जणायरे; हूं तीर्थंकर ते गुण वरीरे लाल, उपदेश दे सुखदाहुँ० यरे हुं० [भाव० ॥ ४ ॥ ज्ञानसहित किरिया कहीरे लाल, साचो मोक्ष उपायरे हुं० वस्तु एकांते जे ग्रहे रेलाल, जवमां ते भटकायरे. हुं० जाव० ||५|| वि नय करो ज्ञानीतणोरे लाल, ज्ञानीतणुं बहुमानरे; हुं० भणो भणावो ज्ञाननेरे लाल, लखो लखावो ज्ञानरे, हुं० जाव० ॥ ६ ॥ शासन चाले ज्ञानथी रे लाल, उपदेश ज्ञानथी थायरे; हुं० समकित प्रगटे ज्ञानथीरे लाल, मिथ्यात्व दूरे जायरे. हुं० जाव० ॥ ७॥ पंचमकाले आधार छेरे लाल, ज्ञान श्रुत निरधाररे हुं० छंडो आशातना श्रुततणीरे लाल, पामो जेम भव पाररे. हुं० [भाव० ॥ ८ ॥ ज्ञान क्रिया अंतर सु. गोरे लाल, खजुया भानु समानरे; हुं० भाव० देशाराधक किरिया कधीरे लाल; सर्वाराधक ज्ञानरे. हुं० जाव० ॥ ९ ॥ महिमा ज्ञाननो अतिघणोरे लाल, भाख्यो ते नवि जायरे; हुँ० आत्मस्वरूप समजो भवीरे लाल, पामो शिवपुरठायरे. हुं० [भाव० ॥ १०॥ किरियारहित ज्ञान पांगळुरे लाल, आंधळी किरिया तेमरे; हुं० ज्ञानने किरिया बेवडेरे लाल, घावे शिवसुख क्षेमरे. For Private And Personal Use Only
SR No.008634
Book TitlePooja Sangraha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1924
Total Pages620
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Ritual_text, & Ritual
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy