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जिनवरैरपि सेवितमादरात्,
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हृदि वहामि तपो बहुभेदकम् ॥ १ ॥
ॐ ह्रीं श्री परमपुरुषाय, परमेश्वराय, जन्मजरा मृत्युनिवारणाय, श्रीमते जिनेन्द्राय, चारित्रलानार्थ पूजार्थच जलं० य० स्वाहा ॥
|| पंचाचारपूजा प्रारंभ. ॥
॥
मङ्गलम्. प्रभु महावीर जिनवरा, तीर्थकर जयकार; सर्व विश्व शासन प्रभु, परब्रह्म सुखकार ॥ १ ॥ प्रणमी वंदी पूजीने, गावं पंचाचार, पंचाचारे वर्ततां, मुक्ति लहे नरनार ॥ २ ॥ द्रव्यभाव आचार छे, साधन साध्य प्रकार सापेक्षे साधन सकल, आत्मशुद्धि करनार. ॥ ३ ॥
प्रथम ज्ञानाचारपूजा.
दुहा. मोहनजी मोकलोरे मोसाळु अथवा ओहि जिन पूजीए मनरंगे-ए राग.
प्रभु महावीर जगहितकारी, प्रतिबोध्यां नरने नारी, धन्य महावीर जग उपकारी, मनो
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