________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
१९८
तेथी मुक्ति याय न क्यारे, मिथ्यात्व ज दुःखकार; समकितयोगे धर्माचार, तप जप संयम शिवकरनार.
भेद घणा मिथ्यात्वना जाख्या,
देखो शास्त्रमझार; द्रव्यभावमिथ्यात्व टळ्याथी, प्रगटे समकित सार. शुद्धदेवगुरुधर्मनी श्रद्धा, प्रीति प्रगटे उदार; सातप्रकृति उपशम आदि,
प्रगटे महावीरप्यार.
देवगुरु ने धर्मनी सेवा, - भक्तिरुचि श्रद्धान; बुद्धिसागर आतममांही, जागे अनुभवज्ञान,
For Private And Personal Use Only
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
धन्य० २
धन्य० ३
धन्य० ४
धन्य० ५