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थाय छे, खरतरगच्छमां श्री जिनदत्तसूरि तथा श्रीजिनकुशलसूरिनी पूजा भणाववामां आवे छे. पूजाओनी चोपडीओमां दादानी पूजा प्रसिद्ध छे. श्रीमद रविसागरजी दादागुरु महाप्रभावक, चारित्रपात्र चूडामणि थया छे, माटे तेपनी पूजा रचेली छे, गुरुभक्तो गुरुगुणरागीओ गुरुनी पूजा भक्ति करे तेथी तेओना आत्मानी शुद्धि थाय a. श्रीघंटाकर्ण महावीर एक जैनशासन देव छे. शान्तिस्नात्रमां अष्टोतरी स्नात्रमा अने प्रतिष्ठा विधिमा श्री घंटाकर्णवीरनी स्थाली-यंत्रवाळी मंत्रीने वेदिकाउपर स्थापवामां आवे छे, अने घंटाकर्णनी पूजामां सुखडी करायले ते श्रावकोने वेंचवामां आवे छे. श्री सकलचंद्रजी उपाध्यायजीए प्रतिष्ठाविधिनी संस्कारितयोजना करी छे. शांतिस्नात्र अने अष्टोत्तरीस्नात्रविधिनी योजना पण तेमना वखतमां तथा जगद्गुरुतपागच्छ गगनभानुसमानश्रीहीरविजयसूरिजीना वखतमां थएली छे अने ते आचार्योंए जैनशासन देवतातरी के श्री घंटाकर्ण महावीरनी प्रसिद्धि करी छे अने ते परंपरा आज सुधी तपागच्छमां चाली आवे छे. श्री महुडी ( मधुपुरी ) गाममां शासन यक्ष तरीके श्री पद्मप्रभु जिनेश्वरदेवनी जमणी बाजुए एक देरी करी श्री घंटाकर्ण महावीरनी मूर्तिनी अमोए प्रतिष्ठा करी ले. ते शासनयक्षनो चमत्कार प्रभावक सर्वत्र देशमां विस्तार पाम्यो ले. घंटाकर्ण कल्प वांचवाथी तेमनो प्रभाव समजाशे जेटला शासन देवो अने देवीओ छे ओ समकितधारी छे, तेओ साधर्मिक बंधुतरीके छे. गृहस्थ श्रावको जैनो तेमनी शासन पावक साधर्मिकतरीके सेवा भक्ति करे छे अने तेथी शासनयक्षदेवो, गृहस्थजैनोने धर्म साधतां संकट पडे छे ते काले सहाय करे छे. अमोए गृहस्थ जैनोने साधर्मिकदेव तरीके तेमनी पूजा भणाववानो तेमनी मूर्त्ति आगळ अधिकार छे एवं जाणी तेओ माटे पूजा रची छे के जेथी जैनो पोते, मिथ्यात्वी देवो अने देवीओनी सहाय छंडीने समकिती देवदेवीओनी सहाय पामी शके
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