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चौबालसहसने सातसें षष्टि, वंदु त्रिकाले भावे; सातकोड ल खत्रोंतेर देवल, भुवनपतिमां सुहावे.
स्थावर० ७ एकेक चैत्ये एकशो ऐंसी-, प्रतिमा प्रमाण विचारो; तेरसेंकोटि नव्याशी कोटि, ति लोकमां धारो. .... .... स्थावर ८ त्रणलाख एकाणुसहस ने त्रणसे-, वीश प्रतिमा वन्दु ध्यंतरज्योतिषीमां बिंब वन्दु, भवोनवपाप निकन्दु.
स्थावर०९ पन्नरक्षेत्रमा जिनवरचैत्यो, सघळां प्रेमे जुहारूं; वीशविहरमान संप्रति जिनवर, कल्याणक संझालं.
स्थावर० १० अतीतअनागत चोवीश जिनवर-, कल्याणकभूमि वन् अतीत अनागत संप्रति सर्वे, तीर्थसेवनरढ मंडु.
स्थावर ११
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