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कच्छमा भद्रेश्वर सिन्ध कांगरा,
मेरु रुचक जयवंताजी; कोरंट वर्धा विस्फुलिंग पास,
शाश्वतेतरसन्ता. शिरोही जोधपुर पाली मेडता, चितोड वांकानेरजी,
उदेपुर डुंगरपुर रतलाम, चैत्य नमे सुखल्हेर. खेटक भिन्नमाल सह चैत्यो, गिरिकुट प्रकट जे छानांजी; बुद्धिसागर चैत्यने प्रणमुं, वर्ते जेह मझानां.
आतमशुद्धिकारो.
ऋषभ चंद्रानन वारिषेणने;
वर्धमान जयकारी;
नंदीश्वर मेरु रुचक द्वीप, अंजनगिरि सुखकारी.
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यात्रा०वारी० १९
यात्रा०|वारी० २०
ढाल बीजी.
( राग आशावरी ० ॥ अवसर बेर बेर नहीं आवे . ए राग . ) स्थावरतीर्थ नमुं हितकारी,
यात्राणवारी० २१
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स्थावर ॥
स्थावर० १